सनातन धर्म में नवरात्रि पर्व का एक विशेष महत्व होता है। हिन्दू पंचांग के अनुसार अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से इस पावन पर्व का आरंभ होता है। इस पर्व में मां शक्ति के नव विभिन्न स्वरूपों की उपासना करने का विधान है। मान्यताओं के अनुसार मां की उपासना करने से जातक को मनोवांछित फल प्राप्त होता है तथा जीवन में आ रही सभी बाधाओं का निवारण भी होने लगता है।
आज के ब्लॉग में मै आपको बताउंगी कैसे मनायें शारदीय नवरात्रि 2023: तिथियां, मुहूर्त समय, नौ देवियाँ और भक्तों के लिए महत्व , साथ ही मै आपको नवरात्रि का इतिहास , नवरात्रि क्यूँ मनाई जाती है और भी नवरात्रि से जुड़े सवालो के जवाब देने का प्रयास करुँगी इस पोस्ट को पढने के बाद आपको अपने सारे सवालो का जवाब मिल जायगा नमस्कार दोस्तों मै हूँ पूर्विका सिंह जादौन और आप यह पोस्ट हमारी वेबसाइट www.infohere.in पर पढ़ रहे है चलिए शरू करते है ..
हम सब जानते हैं कि नवरात्रि पर्व वर्ष में दो बार मनाया जाता है। प्रथम नवरात्रि पर्व चैत्र मास में एवं द्वितीय नवरात्रि पर्व आश्विन मास में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। आश्विन मास की नवरात्रि को ही शारदीय नवरात्रि के नाम से जाना जाता है| जिसका आरंभ आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से होता है। मान्यताओं के अनुसार, शारदीय नवरात्रि में घटस्थापना/ कलशस्थपना करने और नौ दिनों तक देवी की पूरे हृदय से उपासना करने से साधक को सुख, समृद्धि एवं ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है और उसके जीवन के सभी कष्टों का निवारण भी होता है।
घटस्थापना / कलश स्थापना की जाने संपूर्ण विधि :-
कलश स्थापना के लिए सर्वप्रथम एक मिट्टी के पात्र में या फिर किसी शुद्ध थाली में मिट्टी भर लें और उसी पात्र में मिट्टी में ही जौ के बीज दाल दे। तत्पश्चात तांबे के एक लोटे में रोली से स्वास्तिक का चिन्ह बनाएं ( याद रखें चिन्ह खंडित यानी जाता हुआ नहीं होना चाहिए ) और उस लोटे की गर्दन में मौली धागा बांध दें। लोटे में पानी भरे और उसमें थोड़ा गंगाजल अवश्य मिलाएं। कलश में दूब , अक्षत और दक्षिणा रख कर कलश को मिट्टी से भरी हुई थाली के ऊपर रख दें। कलश में आम के पत्ते लगाएं और उसे ढक दें। कलश के ऊपर एक नारियल को लाल कपडे में लपेटकर उसपर मौली धागा बांध कर रख दें। पान के पत्ते में सुपारी , लौंग , इलायची इत्यादि रख कर कलश स्थापना को संपन्न करें और हर्षोल्लास के साथ मातारानी का स्वागत करें।
नवरात्रि के नौ दिनों का महत्व :-
ज्योतिषाचार्य ने बताया है कि नवरात्रि में मां दुर्गा की प्रतिमाएं विराजित की जाती हैं। इस नौ दिन के महापर्व के प्रथम दिन कलश स्थापित किया जाता है और अखंड ज्योति जलाई जाती है तथा उपवास भी रखा जाता है। यह पर्व नारी शक्ति की आराधना का पर्व है। हर स्वरूप की अपनी एक अलग महिमा होती है तथा आदिशक्ति मां जगदम्बा के हर स्वरूप से अलग - अलग मनोरथ पूर्ण होते हैं। इस पावन पर्व पर विभिन्न स्थानों पर गरबा नृत्य महोत्सव तथा रामलीला महोत्सव का आयोजन भी किया जाता है।
वैसे तो हम सब जानते हैं कि मां का वाहन सिंह ( शेर ) होता है लेकिन हमें यह भी ज्ञात होना चाहिए कि हर वर्ष नवरात्रि के प्रारंभिक दिन के अनुसार माता अलग - अलग वाहनों पर सवार होकर धरती पर आती हैं अर्थात् माता सिंह की सवारी के अलावा दूसरी सवारी पर सवार होकर भी धरती पे आती हैं। देवी
किस वाहन पर सवार होकर धरती पर आती हैं इसका मानव जीवन पर बहुत अधिक असर पड़ता है।
शशि सूर्य गजरूढ़ा शनिभौमे तुरांगमे। गुरौशुक्रेच दोलायाम बुधे नौकप्रकीरतिता।।
इस श्लोक का वर्णन देवीभागवत पुराण में किया गया है जिसमें सप्ताह के सातों दिन के अनुसार माता के आगमन के अलग - अलग वाहनों का विस्तार पूर्वक वर्णन है।
उदाहरणतयः
1] अगर नवरात्रि का आरंभ सोमवार या रविवार से हो तो मां हाथी पर सवार होकर धरती पे आएंगी
2] आरंभ शनिवार या मंगलवार से हो तो मां अश्व पर सवार होकर धरती पे आएंगी ,
3] आरंभ गुरुवार या शुक्रवार से हो तो मां डोली पे सवार होकर धरती पे आएंगी ,
4] आरंभ बुधवार के दिन हो तो मां नाव पर सवार होकर आएंगी।
आइए जानते हैं , इस वर्ष शारदीय नवरात्रि के कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त क्या रहेगा ?
शारदीय नवरात्रि के प्रथम दिन कलश स्थापना होती है जिसका शुभ मुहूर्त दिनांक 15 अक्टूबर को सुबह 11 :44 मिनट से दोपहर 12 बजकर 30 मिनट तक रहेगा।
अब बात करते हैं नवरात्रि के नौ विभिन्न दिनों के बारे में :
प्रथमा - 15 अक्टूबर 2023 ( देवी मां शैलपुत्री की पूजा )
यह नवरात्रि का पहला दिन है। इस दिन कलश स्थापना के साथ देवी दुर्गा के शैलपुत्री रूप की पूजा - अर्चना की जाती है। मां शैलपुत्री को हिमालय की पुत्री कहा जाता है इसी कारणवश इन्हे श्वेत ( सफेद ) रंग बेहद प्रिय है। मान्यता है कि इस दिन मां को गाय के घी का भोग लगाना चाहिए क्योंकि ऐसा करने से भक्त को आरोग्य की प्राप्ति होती है और देवी मां उसे हर संकट से मुक्त करती हैं। नारंगी रंग देवी शैलपुत्री का प्रतीक है । यह रंग दया और पोषण को दर्शाता है।
द्वितीया - 16 अक्टूबर 2023 (देवी मां ब्र्मचारिणी की पूजा )
यह नवरात्रि का दूसरा दिन है। इस दिन मां ब्र्मचारिणी की पूजा - अर्चना का विधान है। मां ब्र्मचारिणी को शक्कर और पंचामृत का भोग बेहद प्रिय है इसलिए इस दिन मां को इसी का भोग लगाना चाहिए क्योंकि मान्यता है कि यह भोग लगाने से मां भक्त को दीर्घायु होने का वरदान देती हैं।मां ब्र्मचारिणी की पूजा व्यक्तित्व म वैराग्य , सदाचार और संयम को बढ़ाती है। श्वेत ( सफेद ) रंग देवी ब्रह्मचारिणी का प्रतिनिधित्व करता है। यह रंग धार्मिकता , न्याय , पवित्रता , मासूमियत और शांति का प्रतीक होता है।
तृतीया - 17 अक्टूबर 2023 ( देवी मां चंद्रघंटा की पूजा)
यह नवरात्रि का तीसरा दिन है। इस दिन मां चंद्रघंटा के स्वरूप की पूजा का विधान है। मां चंद्रघंटा को दूध से बनी मिठाईयां , खीर आदि का भोग लगाना चाहिए जिससे मां अधिक प्रसन्न होती हैं। मान्यता है कि इनके पूजन से धन - धान्य , वैभव व ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है एवं मनुष्य शारीरिक कष्टों से मुक्ति पाता है। लाल रंग मां चंद्रघंटा का प्रतीक माना जाता है। यह रंग शक्ति , जोश और उत्साह को इंगित करता है। यह रंग स्वास्थ्य एवं प्रजनन क्षमता का प्रतीक भी माना जाता है। रक्त को स्वाभाविक रूप से लाल रंग से जोड़ा जाता है जो कि साहस और शक्ति का प्रतिनिधित्व करता है।
चतुर्थी - 18 अक्टूबर 2023 (देवी मां कूषमांडा की पूजा )
यह नवरात्रि का चौथा दिन है। इस दिन मां कूषमांडा के स्वरूप की पूजा - अर्चना का विधान है। मां कूषमांडा को मालपुए का भोग अर्पित करना चाहिए क्योंकि ऐसा करने से बुद्धि का विकास होता है साथ ही मनोबल में भी वृद्धि होती है। नारंगी रंग मां कूष्मांडा का प्रतीक माना जाता है। नारंगी रंग खुशी का प्रतीक होता है और यह समृद्धि के साथ - साथ सौभाग्य का भी प्रतिनिधित्व करता है।
पंचमी - 19 अक्टूबर 2023 (देवी मां स्कंदमता की पूजा )
यह नवरात्रि का पांचवा दिन है। इस दिन मां स्कंदमता के स्वरूप की पूजा की जाती है। मां स्कंदमता को केले का भोग लगाना चाहिए। कहा जाता है कि मां स्कंदमाता को केले का भोग लगाने से भक्त को शारीरिक रोगों से मुक्ति मिलती है और ऐसा करने से बच्चों का कैरियर भी अच्छा रहता है। पीला रंग मां स्कंदमाता का प्रतीक माना जाता है। पीला रंग हर्ष , धन और प्रचुरता से संबंधित होता है। यह रंग जीवन में सौभाग्य और उपलब्धि को दर्शाता है।
षष्ठी - 20 अक्टूबर 2023 ( देवी मां कात्यायनी की पूजा )
यह नवरात्रि का छठवां दिन है। इस दिन मां कात्यायनी के स्वरूप की पूजा की जाती है। मां कात्यायनी को लौकी , मीठा पान और शहद का भोग अर्पित करना चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से आकर्षण शक्ति में वृद्धि होती है तथा घर की नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है। हरा रंग माता कात्यायनी का प्रतिनिधित्व करता है। यह रंग बाधाओं का सामना करने में बहादुरी , धैर्य एवं दृढ़ संकल्प का प्रतीक होता है।
सप्तमी - 21 अक्टूबर 2023 ( देवी मां कालरात्रि की पूजा )
यह नवरात्रि का सातवां दिन है। इस दिन मां कालरात्रि के स्वरूप की पूजा की जाती है। मां कालरात्रि को गुड से निर्मित वस्तु का भोग लगाना चाहिए। मान्यता है कि गुड का भोग लगाने से मां भक्त को रोग व शोक से मुक्ति देती हैं और घर में सकारात्मकता का वरदान देती हैं। स्लेटी रंग मां कालरात्रि का प्रतिनिधित्व करता है। यह रंग ज्ञान , सच्चाई , स्पष्टता और अन्तर्दृष्टि का प्रतीक माना जाता है।
अष्टमी - 22 अक्टूबर 2023 ( देवी मां महागौरी की पूजा )
यह नवरात्रि का आठवां दिन है। इस दिन मां दुर्गा के महागौरी के स्वरूप की पूजा होती है। माता महागौरी को नारियल का भोग बेहद प्रिय है इसलिए इस दिन माता महागौरी को नारियल का भोग अवश्य लगाना चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से भक्त को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है और घर में कभी भी धन - धान्य की कमी नहीं होती है। बैगनी रंग मां महागौरी का प्रतीक है। यह रंग बुद्धि और रचनात्मकता को दर्शाता है तथा पुनर्जन्म और विस्तार का भी प्रतिनिधित्व करता है।
नवमी - 23 अक्टूबर 2023 ( देवी मां सिद्धिदात्री की पूजा )
यह नवरात्रि का नवां एवं अंतिम दिन है। इस दिन मां सिद्धदात्री की पूजा अर्चना का विधान है। मां सिद्धिदात्री को हलवा - पूडी और खीर का भोग लगाना चाहिए तत्पश्चात कन्या पूजन कर नवरात्रि के पर्व का समापन करना चाहिए। हरा रंग मां सिद्धिदात्री का प्रतीक है। यह रंग परिवर्तन और आध्यात्मिकता की दर्शाता है। इसके अनुसार देवी मां हमें वही प्यार और सुरक्षा प्रदान करती हैं जो कि एक मां अपने बच्चे को देती है। यह दिव्य मातृत्व को इंगित करता है।
जैसे घर आए हुए मेहमान वापस जाते वक़्त कुछ ना कुछ देकर जाते हैं वैसे ही माता रानी भी हम सबको ढेर सारा आशीर्वाद देकर जाती हैं। मातारानी हम सब पर अपनी कृपा और अपना आशीर्वाद बनाए रखें। सब स्वस्थ रहें सुखी रहें यही मेरी कामना है।
जानिए नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा से लाभ और माता का भोग -
- देवी माँ शैलपुत्री की पूजा से चंद्र दोष समाप्त होता है। इस दिन माता को भोग "देसी घी" का लगाया जाता है |
- देवी माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा से मंगल दोष खत्म होता है। इस दिन माता को भोग " शक्कर,सफेद मिठाई,मिश्री और फल " का लगाया जाता है |
- देवी माँ चंद्रघण्टा पूजा से शुक्र ग्रह का प्रभाव बढ़ता है। इस दिन माता को भोग " मिठाई और खीर " का लगाया जाता है |
- देवी माँ कूष्माण्डा की पूजा से कुंडली में सूर्य ग्रह मजबूत होता है। इस दिन माता को भोग " मालपुआ " का लगाया जाता है |
- देवी माँ स्कंदमाता की पूजा से बुध ग्रह का दोष कम होता है। इस दिन माता को भोग " केला " का लगाया जाता है |
- देवी माँ कात्यायनी की पूजा से बृहस्पति ग्रह मजबूत होता है। इस दिन माता को भोग " शहद " का लगाया जाता है |
- देवी माँ कालरात्रि की पूजा से शनिदोष खत्म होता है। इस दिन माता को भोग " गुड़ " का लगाया जाता है |
- देवी माँ महागौरी की पूजा से राहु का बुरा प्रभाव खत्म होता है। इस दिन माता को भोग " नारियल " का लगाया जाता है |
- देवी माँ सिद्धिदात्री की पूजा से केतु का असर कम होता है। इस दिन माता को भोग "अनार और तिल " का लगाया जाता है |
नवरात्रि पूजन सामग्री-
रोली, मौली, केसर, सुपारी, चावल, जौ, पुष्प, इलायची, लौंग, पान, श्रृंगार-सामग्री, दूध, दही, शहद, गंगाजल, शक्कर, घी, जल, वस्त्र, फल, धूप, नैवेद्य, मिट्टी, थाली, कटोरी, नारियल, दीपक, ताम्रकलश, रुई, कर्पूर, माचिस, आभूषण, बिल्वपत्र, यज्ञोपवतीत, सर्वौषधि, अखंड दीपक, पंचपल्लव, सप्तमृत्तिका, कलश, दूर्वा, चंद्रन, इत्र, चौकी, लाल वस्त्र, दुर्गाजी की प्रतिमा, सिंहासन, दक्षिणा आदि।
Durga Mata ji Ki Aarti Jai Ambe Gauri: नवरात्रि पर जरूर करें मां दुर्गा की आरती
🙏 मां दुर्गाजी की आरती🙏
जय अम्बे गौरी, मैया_जय श्यामा गौरी
तुमको निशिदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी।।
ॐ जय अम्बे गौरी।।
मांग सिंदूर विराजत, टीको जगमद को।
उज्जवल से दो नैना चन्द्रवदन नीको।।
ॐ जय अम्बे गौरी।।
कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजै।
रक्तपुष्प गल माला, कण्ठन पर साजै।।
ॐ जय अम्बे गौरी।।
केहरि वाहन राजत, खड्ग खप्परधारी।
सुर-नर-मुनि-जन सेवत, तिनके दुखहारी।।
ॐ जय अम्बे गौरी।।
कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती
कोटिक चन्द्र दिवाकर, सम राजत ज्योति।।
ॐ जय अम्बे गौरी।।
शुंभ निशुंभ बिदारे, महिषासुर घाती।
धूम्र विलोचन नैना, निशदिन मदमाती।।
ॐ जय अम्बे गौरी।।
चण्ड-मुण्ड संहारे, शोणित बीज हरे।
मधु-कैटव दोउ मारे, सुर भयहीन करे।।
ॐ जय अम्बे गौरी।।
ब्रम्हाणी, रुद्राणी, तुम कमला रानी।
आगम निगम बखानी, तुम शव पटरानी।।
ॐ जय अम्बे गौरी।।
चौंसठ योगिनी मंगल गावत, नृत्य करत भैरों।
बाजत ताल मृदंगा, अरू बाजत डमरू।।
ॐ जय अम्बे गौरी।।
तुम हो जग की माता, तुम ही हो भरता।
भक्तन की दु:ख हरता, सुख सम्पत्ति करता।।
ॐ जय अम्बे गौरी।।
भुजा चार अति शोभित, वर-मुद्रा धारी।
मनवान्छित फल पावत, सेवत नर-नारी।।
ॐ जय अम्बे गौरी।।
कन्चन थाल विराजत, अगर कपूर बाती।
श्रीमालकेतु में राजत, कोटि रतन ज्योति।।
ॐ जय अम्बे गौरी।।
श्री अम्बे जी की आरती, जो कोई नर गावे ।
कहत शिवानन्द स्वामी, सुख सम्पत्ति पावै।।
ॐ जय अम्बे गौरी।।
नवरात्रि क्यों मनाते हैं इसके इतिहास को भी जाने ? -
नवरात्रि सनातन धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है और उतना ही महत्वपूर्ण इसका इतिहास भी है। इसका इतिहास आधारित है मां दुर्गा की असुरों की विजय की कथा पर। इसका इतिहास कुछ इस प्रकार है :-
महिषासुर नामक एक अत्यंत बलशाली असुर था जिसने ब्रह्मा, विष्णु और भगवान शिव के वरदान से असीम शक्ति की प्राप्ति की थी। उसी शक्ति का दुरुपयोग करते हुए वो स्वर्ग लोक व पृथ्वी लोक पर लगातार अत्याचार कर रहा था। इसी परिस्थिति से बाहर निकलने के लिए सभी देवताओं ने मां दुर्गा का आवाहन किया जिसके पश्चात मां दुर्गा धरती पर अवतरित हुईं और अपने नौ रूपों के साथ नौ दिन और नौ रात तक युद्ध किया और महिषासुर नामक असुर को परास्त कर दिया। इसी उपलक्ष्य में नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ विभिन्न रूपों की आराधना करने का प्रावधान है।
क्या आप जानते है नवरात्रि पर दुर्गा सप्तशती पाठ करने के फायदे-
नवरात्रि पर्व पर इन 9 दिनों तक मां की पूजा-आराधना लगातार होती है। नवरात्रि पर्व मां दुर्गा के सभी 9 देवी रूप की सुबह और शाम को विधि-विधान के साथ पूजा, भोग, आरती और मंत्रोचार करने का विशेष महत्व होता है। नवरात्रि में दुर्गासप्तशी का पाठ करना बहुत ही लाभप्रद माना गया है। इसके पाठ को करने से कई तरह के फायदे मिलते हैं।
सप्तशती पाठ में कुल 13 अध्याय हैं जिन्हें 3 हिस्सों में बांटा गया है। नवरात्रि में दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से शांति, सुख- समृद्धि, धन, यश और मान-सम्मान सभी की प्राप्ति होती है। सप्तशती में कुछ ऐसे भी स्तोत्र और मंत्र हैं, जिनका विधि पूर्वक पाठ करने से मनवांछित फल की भी प्राप्ति होती है।
सर्वकल्याण के लिए मंत्र -
सर्व मंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके।
शरण्येत्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोऽस्तुते।।
धन-पुत्रादि एवं बाधा मुक्ति प्राप्ति के लिए मंत्र -
सर्वाबाधा विनिर्मुक्तो धन-धान्य सुतान्वितः।
मनुष्यो मत्प्रसादेन भविष्यति न संशय।।
Navratri 2023: नवरात्रि पर प्रवेश द्वार पर बंदनवार क्यों बांधा जाता है ?
हिंदू धर्म में नवरात्रि के पर्व के विशेष महत्व और 9 दिन मां दुर्गा की उपासना का समय होने की वजह से पहले दिन घर की साफ-सफाई और मुख्य द्वार पर बंदनवार बांधा जाता है। देवी मां की पूजा-अनुष्ठान के दौरान घर के प्रवेश द्वार पर आम या अशोक के ताज़े हरे पत्तों की बंदनवार के रूप में बनाकर लगाया जाता है। क्या आपको पता है आखिर क्यों यह बंदनवार प्रवेश द्वार पर बांधा जाता है। दरअसल इसके बांधने से घर में नकारात्मक या बुरी शक्तियां प्रवेश नहीं करती हैं| मान्यता है कि देवी माँ की पूजा के दौरान देवी माँ के साथ तामसिक शक्तियां भी घर में प्रवेश करती हैं,लेकिन मुख्यद्वार पर बंदनवार लगा होने के कारण तामसिक शक्तियां घर के बाहर ही रहती हैं।
Shardiya Navratri 2023 Puja Vidhi-नवरात्रि पर अखंड ज्योति क्यों जलाते हैं -
आज से शारदीय नवरात्रि शुरू हो चुकी हैं। नवरात्रि के पहले दिन यानी प्रतिपदा तिथि पर कलश स्थापना और अखंड ज्योति जलाई जाती है। नवरात्रि के नौ दिनों में महाशक्ति की आराधना करने वाले जातक अखंड ज्योति जलाकर मां दुर्गा की उपासना करते हैं। अखंड का अर्थ है जो खंडित न हो अर्थात जरूरी नहीं कि अखंड ज्योत पूरे नौ दिनों तक ही जलाई जाए,अष्टमी या नवमी के दिन पूजा के समय 24 घंटे के लिए भी अखंड दीपक जलाया जा सकता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार अखंड ज्योति जलाने से घर में नकारात्मक ऊर्जा दूर होकर सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है,घर के सदस्यों को यश एवं प्रसिद्धि मिलती है। सुख-समृद्धि,आयु,आरोग्य एवं सुखमय जीवन में वृद्धि होती।
नवरात्रि पर्व पर घर पर ये चीजें जरूर होनी चाहिए -
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार नवरात्रि पर 9 दिनों के लिए माँ दुर्गा पृथ्वी पर वास करती हैं और अपने भक्तों को आशीर्वाद प्रदान करती हैं । वहीं माता के भक्त पूरे 9 दिनों तक मां दुर्गा के 9 स्वरूपों की विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना करते हैं। नवरात्रि पर जरूर होने चाहिए घर पर कुछ चीजें । आइए जानते हैं घर पर क्या-क्या चीजें होनी आवश्यक हैं |
- 16 श्रृंगार की चीजें
- श्रीयंत्र
- दक्षिणावर्ती शंख
- नारियल
- मोर पंख
- लाल फूल आदि।
नवरात्रि के व्रत में क्या सेवन करना चाहिए -
नवरात्रि के व्रत में आपको विशेष तरीके से ध्यान-पूर्वक चीज़ों का सेवन करना चाहिए, जो व्रत के नियमों और धार्मिक आदर्शों का पालन भी करे| निम्नलिखित नियमों के अनुसार आपके व्रत के दौरान क्या खाना चाहिए :
1] उपवास के दौरान अन्न नहीं खाना चाहिए- नवरात्रि के दौरान, अन्न (धान्य, गेहूं, चावल) का सेवन नहीं करना चाहिए।
2] फल और फलों का रस- व्रत के दौरान, फल और फलों का रस सेवन कर सकते हैं।
3] उपवासी खाना-उपवासी खाना जैसे कि सिंघाड़ा आटा, कट्टू आटा, साबूदाना, और व्रती आलू का उपयोग करें।
4] दूध और दैहिक उत्पाद- दूध और दैहिक उत्पाद (दही, मक्खन) भी खा सकते हैं, लेकिन उनमें अन्य पदार्थों का संयम रखें।
5] फल और सूखा मेवा- फल और सूखे मेवे जैसे कि केला, आपूल, खरबूजा, क़रवाही (चिरौंजी), ख़ुबानी, और मुनक्का खा सकते हैं।
6] स्वादनुसार व्रती खाना- व्रत के दौरान, आप उपवासी खाना बनाते समय अपने पसंद के व्रती बनाने की विशेष तरीके से विचार कर सकते हैं।
आप अपने व्रत के दौरान उपवासी खाने में तली गई चीजें और तेल का इस्तेमाल भी कर सकते हैं, लेकिन ध्यान दें कि आपका खाना उपवास के नियमों का पालन करता है।
चैत्र और शरद नवरात्रि में क्या भिन्नता हैं -
1] मौसम: चैत्र नवरात्रि चैत्र मास के आदिकाल में मनाई जाती है, जो चैत्र महीने के आस-पास आता है, जबकि शरद नवरात्रि आश्विन मास के आदिकाल में होती है, जो सितंबर-अक्टूबर के आस-पास होता है।
2] मां दुर्गा के आवतरण: चैत्र नवरात्रि में मां दुर्गा का उत्पत्ति के रूप में पूजा की जाती है, जब उन्होंने महिषासुर का वध किया था। इसे चैत्र नवरात्रि के रूप में जाना जाता है। शरद नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है, जिसमें महिषासुर मर्दन, सिंह वाहिनी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी, और सिद्धिदात्रि शामिल हैं।
3] पूजा का तरीका: चैत्र नवरात्रि के दौरान, मां दुर्गा की मूर्ति को पूजा किया जाता है और व्रत के दौरान अन्न का उपवास किया जाता है। शरद नवरात्रि में, नौ दिनों तक महिषासुर मर्दिनी की अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है, और व्रत के दौरान अन्न, धान्य, और फल का उपवास किया जाता है।
गुप्त नवरात्रि क्या है इसका मानाने का समय -
गुप्त नवरात्रि, भारतीय हिन्दू परंपराओं में एक छुपे हुए या गुप्त रूप से मनाई जाने वाली नवरात्रि है, जो अकसईत मास के शुक्ल पक्ष के अश्विन मास में आयोजित की जाती है। इसे गुप्त नवरात्रि कहा जाता है क्योंकि इसे ज्यादातर विशेष पूजाओं के केंद्र में नहीं लाया जाता और यह गुप्त रूप से घरों में मनाई जाती है।
गुप्त नवरात्रि की तिथियाँ हर साल बदलती हैं, क्योंकि यह अकसईत मास के शुक्ल पक्ष के पहले दिन से अंकश सप्तमी तिथि से शुरू होती है और चैत्र मास के कृष्ण पक्ष के पूर्णिमा तिथि पर समाप्त होती है।
गुप्त नवरात्रि के दौरान भगवान दुर्गा की पूजा और आराधना की जाती है, लेकिन यह त्योहार सार्वजनिक रूप से ध्यान में नहीं रखा जाता है, और व्यक्तिगत आराधना के रूप में घरों में मनाया जाता है।
कृपया ध्यान दें कि गुप्त नवरात्रि की तिथियाँ हर साल बदलती हैं, इसलिए आपको स्थानीय पंचांग या कैलेंडर से इस त्योहार की वर्तमान वर्ष की तिथियों की जांच करनी चाहिए।
नवरात्रि में क्या करें और क्या ना करें -
नवरात्रि के दौरान कुछ अच्छे और बुरे कामों का पालन करने का आदर्श होता है। निम्नलिखित हैं नवरात्रि के दौरान क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए:
क्या करें:
1] मां दुर्गा की पूजा: नवरात्रि के दौरान, मां दुर्गा की पूजा करें और उनके नौ स्वरूपों की आराधना करें|
2] व्रत और उपवास: व्रत और उपवास का पालन करें, जिसमें अन्न और दैहिक उत्पादों का त्याग करना शामिल है|
3] सेवा और दान: मां दुर्गा के चरणों में ध्यान और मनन करें और उनकी कृपा का आभास करें|
गरीबों और जरूरतमंदों की सेवा करें और दान करें|
4] ध्यान और मनन: आप नवरात्रि के दौरान ध्यान और मनन करके अपने मानसिक स्वास्थ्य को सुधार सकते हैं।
क्या नहीं करें:
मां दुर्गा का अपमान न करें: मां दुर्गा की पूजा के दौरान या उनकी मूर्तियों के साथ अवगुण करने से बचें|
1] मांसाहारी खाना: नवरात्रि के दौरान मांस, मांसाहारी और शराब का सेवन न करें|
2] कद्दू और लौकी न खाएं: कुछ स्थानों पर, कद्दू और लौकी के सेवन को नवरात्रि के दौरान व्रत के बाहर किया जाता है| इसलिए यह त्योहार के नियमों के अनुसार अपने स्थानीय परंपराओं और आदर्शों के माध्यम से करें|
2] क्रूरता और अन्याय: इस समय क्रूरता, अन्याय, और बुरे कर्मों से बचें और दूसरों के साथ सद्भावना और शांति बनाए रखें|
नवरात्रि के दौरान, मां दुर्गा की पूजा और आराधना करने के अलावा, आपको अच्छे कर्मों का अनुसरण करने का प्रयास करना चाहिए और दुर्गा माता की कृपा और आशीर्वाद की प्राप्ति के लिए प्रार्थना करना चाहिए।
डिसक्लेमर-
इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी हम साफ़ तौर पर तो नहीं दे सकते हैं ।क्योंकि इन सभी सूचना को विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके आप तक प्रेषित की गई है। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना को सबसे सुव्यवस्थित तरीके से आप तक पहुंचाना है,हमारे सभी पाठकों से विनती है कि इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसका किसी भी तरह से उपयोग करने पर पूरी जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।'
आज आप ने क्या जाना :
ऊपर के लेख में हमने आपको नवरात्री से जुड़े हर प्रकार की जानकारी और तथ्य जो बताया जो की हम आशा करते है की आपको समझ आया होगा आज के लेख में हमने आपको कैसे मनायें शारदीय नवरात्रि 2023: तिथियां, मुहूर्त समय, नौ देवियाँ और भक्तों के लिए महत्व के बारे में बताया ,इसी प्रकार की रोच्जक और ज्ञानवर्धक जानकारी पढने के लिए हमारे साथ जुड़े रहे .. धन्यवाद