सामान्य धातुओ की ही तरह लिथियम एक हल्का सबसे कम घनत्व-वाला ठोस पदार्थ है। यह ठोस जैसा दिखने वाला ग्रे और सफ़ेद धातु है। आज के नए युग में इस धातु की अहमियत बहुत तेज़ी से बढती जा रही है। इसका कारण यही है की इसका इस्तेमाल भारी मात्रा में लिथियम बैटरी बनाने में किया जा रहा है और दिन प्रतिदिन लिथियम बैटरी की मांग भी बढती जा रही है। आज के ब्लॉग पोस्ट में हम लिथियम से जुडी कई जानकारियों को जानेगे जिसमे लिथियम क्या है ? लिथियम और लिथियम आयन में क्या अंतर है ? और लिथियम को सबसे पहले किसके द्वारा खोजा गया था ?जैसे अनेक प्रकार के सवाल के उत्तर जानेंगे मै हूँ शोभित राठौर और आप यह पोस्ट हमारी वेबसाइट www.infohere.com पर पढ़ रहे है तो चलिए शरू करते हैं -
लिथियम क्या है ?
लिथियम को सबसे पहले किसके द्वारा खोजा गया था ?
अगर इतिहास को उठा कर देखा जाये तो पता चलता है की लिथियम को सबसे पहले सन 1817 में Swedish Chemist Johan August Arfedson के द्वारा खोजा गया था। उस समय इसका प्रयोग लिथियम बैटरी बनाने में बिलकुल नही किजा जाता था। बल्कि इसका प्रयोग दिमागी बिमारियों के इलाज करने में किया जाता था पर आज का ज़माना बहुत तरक्की कर चुका है। आज भी लिथियम का इस्तेमाल bipolar disorder नमक बीमारी के इलाज करने में किया जाता है
लिथियम और लिथियम आयन में क्या अंतर है ?
जैसा की मैंने आपको ऊपर बताया कि लिथियम एक धातु है जो की सिल्वर और सफ़ेद रंग में पायी जाती है। यह स्वभाव में सॉफ्ट मेटल होता है। दूसरी तरफ लिथियम आयन लिथियम का आयन होता है जो अपना एक इलेक्ट्रान खो चुका होता है और जिसका प्रयोग भरी मात्रा में Rechargeable Battery बनाने में किया जाता है।
लिथियम आयन का इतिहास क्या है ?
अगर इतिहास की माने तो सबसे पहले सन 1970 में वैज्ञानिकों ने लिथियम आयन बैटरी बनायी थी और यह आने वाले भविष्य का बहुत ज़रूरी कदम था। यह इलेक्ट्रॉनिक उद्योग मे बहुत की महत्वपूर्ण खोज साबित हुआ जिसने पुराने ज़माने की टेक्नोलॉजी की बैटरी को रिप्लेस किया और दुनिया को नयी और सस्ती बैटरी प्रदान की ।
लिथियम कहाँ से मिलता है ?
अन्य धातुओ की तरह ही लिथियम दुनिया के कई इलाको में काफी मात्रा में पाया जाता है पर ज्यादातर पहाड़ी इलाको में लिथियम मिलने के आसार अधिक होते हैं । अगर आंकड़ो की बात की जाये तो विश्व में कुछ देश ऐसे हैं जो लिथियम के उत्पादन में काफी आगे जा चुके है इनमे से चिली अर्जेंटीना जैसे देश शामिल हैं। लिथियम का उत्पादन ऑस्ट्रेलिया कनाडा के पठारी इलाको में भी होता है । चिंता जनक बात यह है की लिथियम की बढती मांग ने लिथियम के उत्पादन को काफी हद तक बढ़ा दिया है जो की लिथियम माइनिंग से किया जाता है जिससे पर्यावरण काफी हद तक प्रभावित हो रहा है ।
लिथियम का उपयोग क्या है , लिथियम कहाँ इस्तेमाल होता है ?
वैसे तो लिथियम के कई सारे उपयोग हैं पर उनमे से कुछ काफी महत्वपूर्ण हैं । चलिए जानते हैं- लिथियम का उपयोग क्या है ? , लिथियम कहाँ इस्तेमाल होता है ? विश्व में सबसे ज्यादा लिथियम का प्रयोग लिथियम आयन बैटरी बनाने में किया जाता है । चाहे इलेक्ट्रॉनिक वाहन हो या अन्य इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस जिसमे बैटरी का प्रयोग किया गया हो उसमे लिथियम प्रयोग किया जाता है । पूरा विश्व आज के जमाने में रिन्यूएबल एनर्जी की दिशा में बड़ी तेजी से बढ़ रहा है और बिना लिथियम के यह संभव नही हो सकता क्योंकि लिथियम आयनों में एनर्जी स्टोर करने की क्षमता होती है सोलर और विंड एनर्जी के संरक्षण के लिए लिथियम बैटरी का इस्तेमाल किया जाता है इन्ही सब कारणों की वजह से लिथियम आज के ज़माने में एक अनमोल धातु बन चुका है ।
लिथियम को white gold क्यों कहते है ?
क्या आपको पता है कि लिथियम को white gold क्यों कहते है ? ऐसा इसलिए है की यह एक सफ़ेद रंग का धातु होती है जो देखने में भी चमकदार होता है और जैसा कि हम ऊपर पढ़ चुके हैं, लिथियम उर्जा भण्डारण के प्रयोग में और बैटरी बनाने में उपयोग किया जाता है। वजन में यह धातु काफी हल्का होता है इसलिए इसकी यह विशेषता इसे अन्य धातुओ से अलग बनाती है और इन्ही सब कारणों और विशेषताओं की वजह से लिथियम को वाइट गोल्ड कहते हैं ।
क्या होगा अगर दुनिया से लिथियम धातु ख़त्म हो जाये ?
ऊपर के लेख में हम लिथियम के बारे में लगभग पूरी जानकारी ले चुके हैं और सारी बातें जानने के बाद हमारे मन में यह सवाल आना लाज़मी है के क्या होगा अगर दुनिया से लिथियम धातु ख़त्म हो जाये ? चलिए हम आपको इस सवाल का उत्तर देने की कोशिश करते हैं -
1- इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस और गैजेट्स पर असर : मोबाइल फोन्स, लैपटॉप, टेबलेट्स जैसे अन्य डिवाइस में लिथियम -आयन की बैटरी का इस्तेमाल होता है। अगर किसी कारण से लिथियम की कमी हो जाए या लिथियम ख़त्म हो जाये तो हमे नयी तरीके की बैटरी की तलाश करनी होगी अथवा इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस का उत्पादन रुक जायेगा ।
2-इलेक्ट्रिक वाहनों पर असर : जैसा की हम जान चुके हैं कि इलेक्ट्रिक व्हीकल में भी लिथियम आयन की बैटरी का इस्तेमाल होता है ।.अगर लिथियम की कमी हो जाये तो ऐसे में हमे फिर से पेट्रोल और डीजल पर निर्भर होना पड़ेगा जो कि सीमित संसाधन है ।
3-भौगोलिक तनाव और दुनिया पर असर: लिथियम हमारे लिए इतना जरूरी धातु बन गयी है की आप इसका अंदाज़ा ऐसे लगा सकते हैं कि इसकी कमी दुनिया के देशो में मतभेद पैदा कर सकती है क्यूंकि लिथियम हर देश में नहीं पाया जाता है और इसकी कमी से भौगोलिक तनाव बढ़ सकता है ।
4-आर्थिक स्थिति पर असर : अगर लिथियम से कोई क्षेत्र सबसे ज्यादा प्रभावित होगा तो वो आर्थिक क्षेत्र है क्योंकि कई देश ऐसे हैं जिनकी अर्थव्यवस्था लिथियम के निर्यात पर निर्भर होती है। ऐसे में अगर लिथियम की कमी हो जाती है तो उन देशो की आर्थिक स्थिति पर सीधा असर पड़ेगा ।
5- कंपनियों पर असर :- लिथियम की कमी से कई कंपनियों पर बुरा असर पड़ सकता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि कई ऐसी कंपनियां है जो लिथियम से जुड़े उत्पादन को बनाती हैं। ऐसे में अगर लिथियम की कमी हो जाये या लिथियम खत्म हो जाये । तो कंपनियों के उत्पादन में कमी हो सकती है और इसका असर कंपनी के होने वाले लाभ को हानि पंहुचा सकती है ।
क्या भारत में लिथियम पाया जाता है ?
लिथियम बैटरी की कीमत क्या है?
वैसे तो इस सावल का उत्तर देना काफी मुश्किल है पर मै कोशिश करूंगा की की आप को बताऊ की लिथियम बैटरी की कीमत क्या होती है . यह कीमत बैटरी की पॉवर भण्डारण क्षमता पर निर्भर करता है उदहारण के तौर पर की आप एक मोबाइल फ़ोन की बैटरी खरीद रहे है या एक बड़ी बैटरी खरीद रहे है इसी प्रकार लिथियम की बैटरी का मूल्य निर्धारित होता है।
आज आप ने क्या सीखा ..
अगर साधारण भाषा में जाने तो लिथियम एक अनमोल धातु है । जिसकी आज के ज़माने में हर जगह प्रयोग किया जा रहा है। लिथियम का प्रयोग हमारे लिए साथ ही पर्यावरण के लिए काफी अच्छा साबित हो सकता है। बस ध्यान देने कि बात यह है की लिथियम माइनिंग की प्रक्रिया में सुधार लाया जाए जो किसी भी प्रकार से पर्यावरण को हानि ना पहुचाये ।
आशा करता हूँ आपको हमारी आज की पोस्ट पसंद आई होगी इसी प्रकार की जानकारी से भरपूर पोस्ट पढने के लिए हमारे साथ बने रहे . धन्यवाद .